Vodafone Idea: पीएमओ लेगा फैसला, वित्तीय संकट और भविष्य की राह
वित्तीय संकट से जूझ रही Vodafone Idea (Vi) के भविष्य पर जल्द ही पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) फैसला ले सकता है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने Vi को राहत देने के लिए पीएमओ को एक प्रस्ताव भेजा है, क्योंकि कंपनी ने बार-बार अपनी वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता जताई है। कंपनी पर सरकार का लगभग ₹83,400 करोड़ का समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया है, और अगले मार्च से ₹18,000 करोड़ की वार्षिक किश्तें शुरू होनी हैं।
पीएमओ के पास राहत प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार, DoT ने पीएमओ को एक अनौपचारिक नोट में कई राहत विकल्प प्रस्तावित किए हैं, जिसमें वैधानिक बकाया के भुगतान पर दो साल की मोहलत भी शामिल है। पीएमओ इस पर अंतिम निर्णय लेगा कि क्या कोई राहत उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
वित्तीय संकट गहराता जा रहा है
Vodafone Idea पर बैंकों का भी ₹1,944.5 करोड़ बकाया है और इसमें 18,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। कंपनी ने पहले कहा था कि बैंक भारी बकाया को देखते हुए और अधिक ऋण देने को तैयार नहीं हैं, और ऐसी फंडिंग के बिना यह एक साल से अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाएगी। कुल मिलाकर, सरकार पर इसका कुल बकाया जुर्माना और ब्याज सहित लगभग ₹2 ट्रिलियन है।
Vi की भविष्य की योजनाएं
CEO अक्षय मूंद्रा के अनुसार, Vodafone Idea सितंबर 2025 से नेटवर्क विस्तार के लिए अपनी आंतरिक नकदी पर निर्भर रहेगी, क्योंकि फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (FPO) के माध्यम से जुटाई गई पूंजी तब तक पूरी तरह से तैनात हो जाएगी। कंपनी गैर-बैंकिंग स्रोतों से धन जुटाने की भी तलाश कर रही है ताकि अपने पूंजीगत व्यय (capex) चक्र को जारी रखा जा सके।
आंतरिक राजस्व पर निर्भरता
मूंद्रा ने पुष्टि की कि खर्च तेजी से आंतरिक राजस्व पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि सितंबर के बाद, कंपनी केवल वही खर्च करेगी जो वह नकद EBITDA के रूप में कमा रही है, जो लगभग ₹2100-2200 करोड़ प्रति तिमाही है।
- Vi का capex FY25 में लगातार बढ़ा और जनवरी-मार्च 2025 की अवधि में ₹4,230 करोड़ पर पहुंच गया।
- जून के अंत तक capex की तीव्रता घटकर ₹2,440 करोड़ हो गई।
- Vi अब ऋण चुकाने और capex के लिए नकद परिचालन लाभ का उपयोग करेगी।
निष्कर्ष
Vodafone Idea के भविष्य पर अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन पीएमओ का फैसला कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। कंपनी को अपने वित्तीय संकट से उबरने और बाजार में बने रहने के लिए सरकार और अन्य स्रोतों से समर्थन की आवश्यकता होगी।