आयकर अधिनियम 2025: नए नियम, प्रभाव और महत्वपूर्ण बदलाव
आयकर अधिनियम 2025: एक नया युग
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आधिकारिक राजपत्र में आयकर अधिनियम, 2025 प्रकाशित किया है। यह अधिनियम मौजूदा आयकर कानून को समेकित और संशोधित करता है, और आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेता है। यह 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होगा।
संसद के मानसून सत्र में पारित, आयकर अधिनियम 2025 भारत के कर ढांचे में व्यापक बदलाव लाने का वादा करता है। यह व्यक्तियों और व्यवसायों दोनों के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है।
अधिनियम की मुख्य विशेषताएं:
- मौजूदा आयकर कानून का समेकन और संशोधन।
- आयकर अधिनियम, 1961 का प्रतिस्थापन।
- 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी।
यह अधिनियम करदाताओं के लिए अनुपालन को सरल बनाने और कर प्रशासन को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से कई नई सुविधाओं और प्रावधानों को पेश करता है। कुछ प्रमुख परिवर्तनों में कर स्लैब का पुनर्गठन, विभिन्न कटौतियों और छूटों का सरलीकरण, और प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से कर चोरी को रोकने के उपाय शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आयकर अधिनियम 2025 भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। यह विदेशी निवेश को आकर्षित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और देश में अधिक न्यायसंगत कर प्रणाली स्थापित करने में मदद करेगा।
हालांकि, अधिनियम के पूर्ण प्रभाव का आकलन करने के लिए अभी और विश्लेषण की आवश्यकता है। करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे नए नियमों और प्रावधानों से खुद को परिचित करें और आवश्यकतानुसार पेशेवर सलाह लें।
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