भजन: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भक्ति और उल्लास का संगम

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भारत में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर मंदिरों और घरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लोग भजन-कीर्तन करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी मनाते हैं। इस दौरान 'भजन' का विशेष महत्व होता है।

भजन: भक्ति का मार्ग

भजन एक प्रकार का भक्ति गीत है जो भगवान की स्तुति में गाया जाता है। यह भक्ति और प्रेम की अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। भजन गाने से मन शांत होता है और भगवान के प्रति श्रद्धा बढ़ती है। जन्माष्टमी के अवसर पर विभिन्न प्रकार के भजन गाए जाते हैं, जिनमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है।

जन्माष्टमी पर भजनों का महत्व

जन्माष्टमी पर भजन गाने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भजन गाने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। कई जगहों पर भजन संध्या का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्तगण मिलकर भगवान श्रीकृष्ण के भजनों का गायन करते हैं। ढोल, मजीरा और झांझ की ध्वनि से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

  • भजन गाने से मन शांत होता है।
  • भगवान के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।
  • वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
  • मनोकामनाएं पूरी होती हैं (ऐसी मान्यता है)।

सामाजिक एकता का संदेश

भजन-कीर्तन के माध्यम से सामाजिक एकता का संदेश भी दिया जाता है। लोग मिलजुल कर कार्यक्रम आयोजित करते हैं और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देते हैं। जन्माष्टमी का पर्व हमें प्रेम, भक्ति और एकता का संदेश देता है।

अमरोहा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और भगवान श्रीकृष्ण के भजनों पर झूम उठे।

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