निवा बूपा और अन्य बीमा कंपनियों के कैशलेस इलाज पर संकट!
देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक बड़ा बदलाव आने वाला है। 1 सितंबर से कई निजी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा बंद हो सकती है, जिससे लाखों मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यह बदलाव बीमा कंपनियों और अस्पतालों के बीच चल रहे विवाद के कारण हो रहा है।
क्या है मामला?
दरअसल, अस्पतालों का संगठन एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआई) और कुछ बीमा कंपनियों के बीच कॉमन इम्पेनलमेंट एग्रीमेंट को लेकर विवाद चल रहा है। इस एग्रीमेंट के तहत, बीमा कंपनियां अस्पतालों को एक जैसी सर्जरी के लिए समान भुगतान करने का प्रस्ताव रख रही हैं, जिसका निजी अस्पताल विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिना उनकी राय लिए यह अनुबंध तैयार किया गया है, जो उनके हितों के खिलाफ है।
किन कंपनियों पर पड़ेगा असर?
इस विवाद के चलते बजाज आलियांज और केयर हेल्थ जैसी बीमा कंपनियों के ग्राहकों को विशेष रूप से परेशानी हो सकती है। कई अस्पतालों ने इन कंपनियों के तहत कैशलेस इलाज बंद करने का ऐलान किया है। भोपाल समेत मध्य प्रदेश के कई निजी अस्पतालों ने भी 1 सितंबर से कैशलेस सुविधा बंद करने की घोषणा की है।
- बजाज आलियांज
- केयर हेल्थ (अब निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस)
मरीजों पर क्या होगा असर?
अगर यह विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदकर कैशलेस इलाज की उम्मीद लगाए बैठे लाखों लोगों को बड़ा झटका लग सकता है। उन्हें इलाज के लिए या तो नकद भुगतान करना होगा या फिर अन्य अस्पतालों का रुख करना पड़ेगा। हालांकि, आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज पहले की तरह जारी रहेगा।
यह देखना होगा कि बीमा कंपनियां और अस्पताल इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं, ताकि मरीजों को बिना किसी परेशानी के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।