Sensex पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव: निवेश रणनीति और सुरक्षित विकल्प
अमेरिकी टैरिफ के नए दौर ने भारतीय शेयर बाजार पर दबाव डाला है, खासकर निर्यात-उन्मुख उद्योगों पर। अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि के कारण कई भारतीय वस्तुओं पर कुल शुल्क 50% तक बढ़ गया है, जिससे निवेशकों में चिंता है। हालांकि, इस प्रभाव की तीव्रता सभी क्षेत्रों में समान नहीं है। कुछ स्टॉक गिर रहे हैं, जबकि अन्य स्थिर हैं, और कुछ को इस व्यवधान से लाभ भी हो सकता है। सवाल यह है कि आप अपने पोर्टफोलियो को इस टैरिफ तूफान से कैसे बचा सकते हैं?
प्रभावित क्षेत्र और सुरक्षित विकल्प
विशेषज्ञों का सुझाव है कि घबराहट में प्रतिक्रिया देने से बचें और इसके बजाय टैरिफ-प्रूफ पोर्टफोलियो बनाने के लिए व्यावहारिक कदम उठाएं।
प्रभावित क्षेत्र:
- वस्त्र और परिधान
- रत्न और आभूषण
- समुद्री भोजन
- चमड़े का सामान
- फर्नीचर और कालीन
- रसायन और ऑटो घटक
इन क्षेत्रों में निर्यात-संचालित कंपनियों और एमएसएमई को भारी राजस्व हानि और कम मार्जिन का सामना करना पड़ सकता है। खरीदार जल्दी से अन्य देशों में ऑर्डर स्थानांतरित कर देते हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों के मार्जिन और वॉल्यूम दोनों को नुकसान होता है।
सुरक्षित क्षेत्र:
- फार्मा
- आईटी सेवाएं
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर
- घरेलू-केंद्रित व्यवसाय (उपभोक्ता वस्तुएं, बैंक, बुनियादी ढांचा और बिजली)
ये क्षेत्र टैरिफ से काफी हद तक अप्रभावित हैं और कमजोर रुपये से भी लाभान्वित हो सकते हैं क्योंकि उनकी आय डॉलर से जुड़ी होती है। घरेलू-केंद्रित व्यवसाय स्थिर बने हुए हैं क्योंकि वे निर्यात पर कम निर्भर हैं।
निवेश रणनीति
निवेशकों को मजबूत घरेलू उपस्थिति वाली कंपनियों और सरकारी नीतियों से लाभान्वित होने वाली कंपनियों पर विचार करना चाहिए। एफएमसीजी, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं, ऑटो ओईएम, ईपीसी/बुनियादी ढांचा और बिजली जैसे क्षेत्रों के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। टैरिफ झटकों से बचाव के लिए अपने निवेशों में विविधता लाना महत्वपूर्ण है।