बिहार: 6 साल से चुनाव नहीं लड़ने वाली 15 पार्टियों पर चुनाव आयोग की कार्रवाई
बिहार में 15 राजनीतिक दलों पर लटकी तलवार, चुनाव आयोग सख्त!
बिहार के 15 निबंधित राजनीतिक दलों का भविष्य अधर में लटका है। इन दलों पर पिछले छह सालों से कोई भी चुनाव न लड़ने का आरोप है, जिसके चलते चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाई है। आयोग इन दलों की मान्यता रद्द करने पर विचार कर रहा है।
आयोग के अनुसार, इन दलों ने 2019 से अब तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकृत दलों को कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन, निष्क्रिय रहने पर उनकी मान्यता और लाभ रद्द किए जा सकते हैं।
कार्रवाई की प्रक्रिया क्या है?
चुनाव आयोग ने इन सभी 15 दलों को नोटिस जारी किया था और उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका दिया था। कुछ दलों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के समक्ष अपनी बात रखी, लेकिन ज्यादातर दलों ने नोटिस का जवाब ही नहीं दिया।
सीईओ कार्यालय ने सभी निष्क्रिय दलों के खिलाफ रिपोर्ट तैयार कर चुनाव आयोग को भेज दी है। अब चुनाव आयोग यह फैसला करेगा कि इन दलों को पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों की सूची में रखा जाए या उन्हें सूची से बाहर कर दिया जाए।
आगे क्या होगा?
चुनाव आयोग जल्द ही इन 15 राजनीतिक दलों के भविष्य पर अंतिम फैसला लेगा। अगर आयोग इन दलों की मान्यता रद्द कर देता है, तो वे चुनाव लड़ने के योग्य नहीं रहेंगे। यह बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
- क्या इन दलों को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का एक और मौका मिलेगा?
- क्या चुनाव आयोग सभी 15 दलों की मान्यता रद्द कर देगा या कुछ को राहत मिलेगी?
- इस फैसले का बिहार की राजनीति पर क्या असर होगा?
इन सवालों के जवाब आने वाले समय में ही मिलेंगे। लेकिन, इतना तय है कि चुनाव आयोग का यह कदम बिहार की राजनीति में सक्रियता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।