संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की किरकिरी: मानवाधिकार वकील ने आतंकवाद पर घेरा

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संयुक्त राष्ट्र में उस समय पाकिस्तान की किरकिरी हो गई जब मानवाधिकार वकील हिलेल Neuer ने उसे आतंकवाद का समर्थक राष्ट्र बताया। यह घटना उस वक्त हुई जब संयुक्त राष्ट्र में कतर में हमास नेताओं पर हाल ही में हुए इजरायली हमले पर चर्चा हो रही थी।

हिलेल Neuer, जो UN Watch के कार्यकारी निदेशक भी हैं, ने कतर पर "आतंकवादियों को शरण देने" का आरोप लगाया और कहा कि खाड़ी देश आतंकवाद का राज्य प्रायोजक है। कतर 2012 से अमेरिका द्वारा नामित आतंकवादी संगठन हमास के राजनीतिक कार्यालय की मेजबानी कर रहा है।

Neuer ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख पर भी इजरायल की निंदा करने के लिए हमला किया। उन्होंने याद दिलाया कि जब अमेरिका ने 2011 में पाकिस्तान में अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था, तो तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा था कि "न्याय हो गया है"।

हालांकि, पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने Neuer को भाषण के बीच में ही रोक दिया, जाहिर तौर पर बिन लादेन और देश का उल्लेख करने पर गुस्सा था।

प्रतिनिधि ने यूएनएचआरसी के अध्यक्ष से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि कोई भी वक्ता संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और संप्रभु सदस्य राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन न करे। पाकिस्तान ने कहा, "हम निराधार आरोपों और आरोपों को खारिज करते हैं।"

इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को शर्मसार कर दिया है और देश की आतंकवाद विरोधी नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। Neuer के आरोपों ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों को फिर से हवा दे दी है, जिससे देश की छवि और खराब हुई है।

हिलेल Neuer का बयान

हिलेल Neuer ने अपने बयान में कतर और संयुक्त राष्ट्र दोनों पर निशाना साधा। उन्होंने कतर पर आतंकवादियों को शरण देने और अल जज़ीरा को हमास के प्रचार प्रसार के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख पर इजरायल की निंदा करने के लिए भी हमला किया।

आगे क्या होगा?

यह देखना बाकी है कि इस घटना का पाकिस्तान और कतर के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, यह निश्चित है कि इस घटना ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और अधिक अलग-थलग कर दिया है।

  • पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ और अधिक कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
  • कतर को आतंकवादियों को शरण देना बंद करना चाहिए।
  • संयुक्त राष्ट्र को आतंकवाद के खिलाफ अधिक मुखर होना चाहिए।

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