SCO शिखर सम्मेलन में मोदी और शी जिनपिंग: क्या असहज थे पीएम?

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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगी पीटर नवारो ने भारत के रूस और चीन के साथ संबंधों पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ खड़े होने में असहज महसूस कर रहे थे।

सीएनबीसी के साथ एक साक्षात्कार में, नवारो ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत ने 2022 से पहले कभी ऐसा नहीं किया था। नवारो ने दावा किया कि भारतीय रिफाइनर रूसी रिफाइनरों के साथ मिलकर मुनाफा कमा रहे हैं।

नवारो ने कहा, "भारतीय रिफाइनर रूसी रिफाइनरों के साथ मिलकर आक्रमण के तुरंत बाद बिस्तर में घुस गए, और वे डाकुओं की तरह बाहर निकल रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत अनुचित व्यापार में अमेरिका से पैसा कमाता है और उस पैसे का उपयोग रूसी तेल खरीदने के लिए करता है, और फिर रूसी उस पैसे का उपयोग हथियार खरीदने के लिए करते हैं।

नवारो ने इस बात पर भी जोर दिया कि मोदी को चीन के साथ मंच पर देखना दिलचस्प था, जो भारत के लिए दीर्घकालिक खतरा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि मोदी ऐसा करने में सहज महसूस कर रहे थे।

पिछले कुछ हफ्तों में, नवारो ने भारत के खिलाफ कई आलोचनात्मक टिप्पणियां की हैं, खासकर रूसी कच्चे तेल की खरीद जारी रखने के लिए। उन्होंने व्यापार बाधाओं पर बातचीत जारी रखने की भी बात कही।

नवारो की टिप्पणियों का भारत पर प्रभाव

नवारो की टिप्पणियों से भारत में नाराजगी है। कई लोगों ने उनकी टिप्पणियों को भारत के खिलाफ एक अनुचित हमला बताया है। कुछ लोगों ने यह भी तर्क दिया है कि नवारो भारत और रूस के बीच संबंधों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।

भारत का रुख

भारत ने नवारो की टिप्पणियों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने निजी तौर पर कहा है कि वे नवारो की टिप्पणियों से निराश हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि भारत अपनी विदेश नीति का निर्धारण करने के लिए स्वतंत्र है।

  • भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है।
  • भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लेता है।
  • भारत सभी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने का प्रयास करता है।

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