मालेगांव ब्लास्ट मामला: प्रज्ञा ठाकुर और पुरोहित को बॉम्बे हाईकोर्ट का नोटिस

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी किए गए बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और पांच अन्य को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस पीड़ितों द्वारा दायर एक अपील के जवाब में जारी किया गया है, जिसमें आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए अंखद की पीठ ने अपील की स्वीकार्यता पर सवाल उठाया। अदालत ने पीड़ितों के वकील मतीन शेख से पूछा कि क्या उनके पास कोई ऐसा फैसला है जो उन्हें 'पीड़ित' की परिभाषा के अंतर्गत लाता हो। शेख ने सकारात्मक जवाब दिया और कानूनी प्रावधानों और फैसलों का हवाला दिया जो कानून के तहत पीड़ितों को परिभाषित करते हैं।

शेख ने यह भी तर्क दिया कि कम से कम छह अपीलकर्ताओं में से चार को मुकदमे के दौरान गवाह के रूप में जांचा गया था। उन्होंने आगे कहा कि पहले अपीलकर्ता ने ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कार्यवाही में हस्तक्षेप किया था।

अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भी नोटिस जारी किया है, जबकि महाराष्ट्र राज्य के अतिरिक्त लोक अभियोजकों ने आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के लिए नोटिस माफ कर दिया है।

पीठ ने दस्तावेजों की जांच करने के बाद बरी किए गए व्यक्तियों और जांच एजेंसी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। यह मामला 2008 में मालेगांव में हुए बम विस्फोट से संबंधित है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी और कई घायल हो गए थे।

मामले की पृष्ठभूमि

29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास हुए बम विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हो गए थे। इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर, प्रसाद पुरोहित और अन्य को आरोपी बनाया गया था।

आरोपियों का बरी होना

ट्रायल कोर्ट ने हाल ही में प्रज्ञा ठाकुर, प्रसाद पुरोहित और पांच अन्य को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया था। पीड़ितों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

  • पीड़ितों का तर्क है कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
  • उन्होंने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सबूतों का सही मूल्यांकन नहीं किया।

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