महाराष्ट्र पुलिस ने अमेरिकी स्नाइपर राइफल का ऑर्डर दिया, 'मेक इन इंडिया' को दरकिनार!
महाराष्ट्र पुलिस ने एक विवादास्पद कदम उठाते हुए अमेरिकी कंपनी बैरेट से स्नाइपर राइफलें खरीदने का ऑर्डर दिया है, जबकि गृह मंत्रालय (एमएचए) 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने की सिफारिश कर रहा है। यह खबर कई सवाल खड़े करती है, खासकर जब भारत सरकार आत्मनिर्भरता पर जोर दे रही है।
जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र पुलिस ने अपनी विशिष्ट कमांडो यूनिट, फोर्स वन के लिए लगभग 5 करोड़ रुपये की 15 बैरेट मल्टी-रोल एडाप्टिव डिजाइन (एमआरएडी) स्नाइपर राइफलें और संबंधित एक्सेसरीज का ऑर्डर दिया है। फोर्स वन का गठन 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद आतंकवाद से संबंधित संकटों से निपटने के लिए किया गया था।
एमएचए ने राज्य पुलिस बलों की खरीद नीति को केंद्रीय सशस्त्र बलों के अनुरूप रखने और 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देने की सिफारिश की थी। इसके बावजूद, महाराष्ट्र पुलिस का यह कदम आश्चर्यजनक है।
इस ऑर्डर में लगभग 30,000 राउंड गोला-बारूद और संबंधित एक्सेसरीज भी शामिल हैं। ऑर्डर अमेरिकी फर्म बैरेट फायरआर्म्स मैन्युफैक्चरिंग इंक के भारतीय भागीदार ह्यूजेस प्रिसिजन मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है।
कहा जा रहा है कि राइफलों को भारतीय कंपनी द्वारा भागों में आयात किया जा रहा है और फिर यहां असेंबल और पैक किया जा रहा है, जिसे कंपनी 'मेक इन इंडिया' की आवश्यकता के अनुरूप बता रही है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह प्रक्रिया वास्तव में 'मेक इन इंडिया' के उद्देश्यों को पूरा करती है।
फोर्स वन राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और भारतीय सेना के बाद, देश की तीसरी ऐसी फोर्स है जो अपने सैनिकों को इस अत्यधिक परिष्कृत स्नाइपर राइफल से लैस कर रही है।
प्रत्येक राइफल की कीमत लगभग 14.75 लाख रुपये होगी, जिसमें 11 प्रतिशत सीमा शुल्क और 18 प्रतिशत माल और सेवा कर (जीएसटी) शामिल है।
क्या यह खरीद उचित है?
यह देखना होगा कि क्या महाराष्ट्र सरकार इस खरीद के औचित्य को साबित कर पाती है, खासकर 'मेक इन इंडिया' नीति के आलोक में। क्या भारत में ऐसी राइफलें उपलब्ध नहीं हैं? क्या यह निर्णय वित्तीय रूप से सबसे अच्छा था? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर दिया जाना चाहिए।
आगे क्या होगा?
उम्मीद है कि यह मुद्दा आगे बढ़ेगा और इस पर और अधिक जानकारी सामने आएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि गृह मंत्रालय इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देता है।