आंध्र प्रदेश: निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले के लिए 8,583 छात्र चयनित

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विजयवाड़ा: शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत, आंध्र प्रदेश में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में वंचित और कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए 25% सीटें मुफ्त दाखिले के लिए आरक्षित हैं।

समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक बी. श्रीनिवास राव ने बताया कि शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए, दूसरे चरण के लॉटरी परिणामों के तहत, निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले के लिए 8,583 छात्रों का चयन किया गया है।

आवंटित छात्रों के माता-पिता या अभिभावकों को 21 से 28 जून तक आवश्यक सत्यापन दस्तावेजों के साथ संबंधित स्कूलों में जाकर दाखिला सुनिश्चित करना था। हालांकि, माता-पिता और अधिकारियों के अनुरोधों को देखते हुए, दाखिला पुष्टिकरण की अंतिम तिथि अब 2 जुलाई, 2025 तक बढ़ा दी गई है।

चयनित छात्रों का विवरण एसएमएस के माध्यम से माता-पिता के पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर भेजा गया है और आधिकारिक वेबसाइट https://cse.ap.gov.in पर भी उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए, टोल-फ्री नंबर 1800 425 8599 पर संपर्क किया जा सकता है।

परियोजना निदेशक श्रीनिवास राव ने स्पष्ट किया है कि प्रबंधन द्वारा किसी भी छात्र को दाखिला देने से इनकार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित निजी स्कूल प्रबंधनों को प्रस्तुत दस्तावेजों को सत्यापित करने और तदनुसार दाखिले की पुष्टि करने के निर्देश दिए गए हैं। यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि कोई भी पात्र बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। सरकार शिक्षा के अधिकार को गंभीरता से लेती है और इसका उद्देश्य सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो। यह पहल राज्य में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

आरटीई अधिनियम क्या है?

शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (आरटीई अधिनियम) भारत की संसद का एक अधिनियम है जो भारत में 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता है। यह अधिनियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत लागू किया गया है।

अधिनियम के मुख्य प्रावधान:

  • प्रत्येक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है।
  • निजी स्कूलों को अपनी सीटों का 25% वंचित और कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए आरक्षित करना होगा।
  • स्कूलों को बच्चों से कोई शुल्क नहीं लेना चाहिए।
  • बच्चों को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जा सकता है।

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