एशियन पेंट्स के शेयर: प्रतिस्पर्धा और मांग में बदलाव का विश्लेषण
भारतीय सजावटी पेंट उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जिससे प्रमुख कंपनियों के लाभ मार्जिन पर असर पड़ रहा है। नए खिलाड़ियों के आक्रामक मूल्य निर्धारण और छूट रणनीतियों के साथ बाजार में प्रवेश करने से यह दबाव बढ़ गया है।
एशियन पेंट्स पर दबाव
उद्योग में अग्रणी एशियन पेंट्स, जिसका घरेलू बाजार में आधे से अधिक का नियंत्रण है, कमजोर शहरी मांग और नए और स्थापित दोनों ब्रांडों से प्रतिस्पर्धी दबावों जैसी दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है। कंपनी के वाइस-चेयरमैन मनीष चोकसी ने कहा कि कमजोर खपत के रुझानों और विवेकाधीन खर्च में कमी के कारण घरों की मरम्मत और रंगाई के चक्र में देरी हुई है, जिससे वास्तुशिल्प पेंट की मांग में गिरावट आई है। उन्होंने यह भी कहा कि उपभोक्ता सजावटी पेंट उत्पादों के प्रीमियम सेगमेंट के भीतर भी अधिक किफायती विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं।
हालांकि मात्रा में 2.5% की वृद्धि हुई, एशियन पेंट्स ने वित्त वर्ष 25 में अपने सजावटी पेंट व्यवसाय के मूल्य में 5.7% की गिरावट दर्ज की, जो मूल्य निर्धारण के दबाव और डाउनट्रैडिंग प्रवृत्ति को दर्शाता है।
अन्य कंपनियों की स्थिति
कंसाई नेरोलैक पेंट्स ने भी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इसी तरह की चिंता व्यक्त की है। कंपनी ने कहा कि उद्योग ने 'कमजोर मांग और तीव्र प्रतिस्पर्धी दबावों' के बावजूद लचीलापन दिखाया। ग्रामीण मांग ज्यादातर वर्ष के लिए सुस्त रही, लेकिन इसमें कुछ सुधार दिखा।
ICICI सिक्योरिटीज का रुख
ब्रोकरेज फर्म ICICI सिक्योरिटीज ने एशियन पेंट्स और बर्जर पेंट्स दोनों के शेयरों को 'रिड्यूस' से 'ऐड' कर दिया है, लगभग चार वर्षों के बाद इस क्षेत्र पर अपना नकारात्मक रुख बदल दिया है। ब्रोकरेज ने दोनों शेयरों के लिए अपने लक्ष्य मूल्य भी बढ़ा दिए हैं।
आगे की राह
उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, और कंपनियां बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए नए तरीके तलाश रही हैं। बिड़ला ओपस और AkzoNobel-JSW पेंट्स के संयोजन से प्रतिस्पर्धा और तेज होने की उम्मीद है। यह देखना होगा कि एशियन पेंट्स और अन्य प्रमुख कंपनियां इस बदलते परिदृश्य में कैसे प्रतिक्रिया करती हैं।
- कीमतों पर दबाव से कंपनियों के मुनाफे पर असर
- शहरी क्षेत्रों में मांग में कमी
- ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत स्थिर मांग