हरेला पर्व 2025: कुमाऊं में उमंग, अल्मोड़ा-नैनीताल में विशेष आयोजन
कुमाऊं में हरेला पर्व की धूम: एक विस्तृत रिपोर्ट
कुमाऊं क्षेत्र में हरेला पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व सावन महीने की शुरुआत का प्रतीक है और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस वर्ष, अल्मोड़ा और नैनीताल जिलों में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं, जिनमें स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है।
अल्मोड़ा में हरेला: अल्मोड़ा में, घरों में डिकारों (शिव-पार्वती परिवार) की पूजा की गई और हरेले की गुड़ाई की गई। यह परंपरा हरेला पर्व के 10-11 दिन पहले शुरू होती है, जिसमें धान, गेहूं, मक्का, जौ और सरसों जैसे पांच या सात प्रकार के अनाज को मिलाकर बोया जाता है। महिलाएं सिर पर हरेला रखकर आशीर्वाद देती हैं। आरोही संस्था ने चमुवा में पौधरोपण कर हरेला महोत्सव मनाया, जिसमें ग्रामीणों ने पेड़ों के संरक्षण का महत्व समझा।
नैनीताल में हरेला मेला: नैनीताल के भीमताल में ऐतिहासिक हरेला मेला शुरू हो गया है, जो 21 जुलाई तक चलेगा। नगर पालिका द्वारा सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मेले का उद्घाटन नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने किया। यह मेला स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने का एक मंच है, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी।
हरेला का महत्व: हरेला पर्व कुमाऊं के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और कृषि उत्सव है। यह नई फसल के आगमन और समृद्धि का प्रतीक है। इस अवसर पर, लोग प्रकृति के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।
कुमाऊं क्षेत्र में हरेला पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सामुदायिक भावना को भी बढ़ावा देता है।
हरेला पर्व से जुड़ी गतिविधियाँ:
- डिकारों (शिव-पार्वती परिवार) की पूजा
- हरेले की गुड़ाई
- पौधरोपण कार्यक्रम
- हरेला मेला का आयोजन