जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग: सभी दलों का समर्थन, भ्रष्टाचार के आरोप

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जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग: क्या है पूरा मामला?

जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए सभी राजनीतिक दल एकजुट हैं। उनके आवास पर जली हुई नकदी मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने न्यायिक भ्रष्टाचार को एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा बताया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, रिजिजू ने कहा कि उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं से बात की है और सभी जस्टिस वर्मा को हटाने के पक्ष में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह छोटे दलों के सांसदों से भी संपर्क करेंगे ताकि सभी की सहमति हो।

रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह पहल सरकार द्वारा संचालित नहीं है, बल्कि कांग्रेस सहित सभी दलों के सांसदों की ओर से आई है। कांग्रेस ने भी इस कदम का समर्थन किया है, और न्यायपालिका की अखंडता पर जोर दिया है।

न्यायिक भ्रष्टाचार एक गंभीर मुद्दा

रिजिजू ने कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मामला है, क्योंकि लोग न्याय पाने के लिए न्यायपालिका में जाते हैं। अगर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार है, तो यह सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय है। यही कारण है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर होने चाहिए।

उन्होंने कांग्रेस के समर्थन का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि उन्होंने चीजों को समझा, क्योंकि कोई भी दल भ्रष्ट न्यायाधीश के साथ खड़ा हुआ या उसकी रक्षा करता हुआ नहीं दिख सकता है।

महाभियोग की प्रक्रिया

जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित करना होगा। प्रस्ताव को लोकसभा के 100 और राज्यसभा के 50 सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होगी।

जस्टिस वर्मा ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है, लेकिन जांच में उनके खिलाफ कदाचार पाया गया है, जिसके कारण उन्हें हटाने की सिफारिश की गई है।

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