ब्रिजिट मैक्रों: फ्रांसीसी प्रथम महिला पर लिंग परिवर्तन का आरोप, मुकदमा!

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फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनकी पत्नी ब्रिजिट मैक्रों ने अमेरिकी प्रभावशाली व्यक्ति कैंडेस ओवेन्स के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। ओवेन्स ने सार्वजनिक रूप से यह दावा किया था कि ब्रिजिट मैक्रों का जन्म एक पुरुष के रूप में हुआ था। यह दावा सोशल मीडिया और ओवेन्स के पॉडकास्ट पर व्यापक रूप से फैलाया गया था, जिससे फ्रांसीसी राष्ट्रपति दंपति को गंभीर बदनामी हुई।

मैक्रों दंपति ने डेलावेयर राज्य में मुकदमा दायर किया है, जिसमें ओवेन्स पर "काल्पनिक, मानहानिकारक और प्रलापी बातें" फैलाने का आरोप लगाया गया है। मुकदमे में कहा गया है कि ओवेन्स ने ब्रिजिट मैक्रों की उपस्थिति, उनके विवाह, दोस्तों, परिवार और व्यक्तिगत इतिहास का विश्लेषण किया, और एक विकृत कहानी में सब कुछ तोड़-मरोड़ कर पेश किया ताकि भड़काऊ और अपमानजनक बातें फैलाई जा सकें।

कैंडेस ओवेन्स, जो अपने विवादास्पद विचारों और षडयंत्र के सिद्धांतों के प्रसार के लिए जानी जाती हैं, ने मार्च 2024 में यह भी कहा था कि वह "अपनी पूरी पेशेवर प्रतिष्ठा" इस बात पर दांव लगा सकती हैं कि ब्रिजिट मैक्रों "वास्तव में एक पुरुष हैं।" इस तरह के निराधार आरोपों ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर दिया।

यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानहानि के बीच की रेखा को उजागर करता है। जबकि ओवेन्स को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, मैक्रों दंपति का मानना है कि उन्होंने झूठे और मानहानिकारक दावे फैलाकर उस रेखा को पार कर लिया है। इस मुकदमे के नतीजे पर दुनिया भर के मीडिया और कानूनी विशेषज्ञों की निगाहें टिकी हुई हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है और इसका भविष्य में मानहानि के मामलों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

कैंडेस ओवेन्स कौन हैं?

कैंडेस ओवेन्स अमेरिकी रूढ़िवादी राजनीतिक टिप्पणीकार और लेखिका हैं। वह अपने विवादास्पद विचारों और राजनीतिक सक्रियता के लिए जानी जाती हैं।

मुकदमे का महत्व

यह मुकदमा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानहानि के बीच संतुलन का एक महत्वपूर्ण मामला है। इसका फैसला भविष्य में मानहानि के मामलों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।

  • यह मामला सोशल मीडिया पर गलत सूचना के प्रसार को लेकर भी चिंताएं उठाता है।
  • यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है।

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