केरल उच्च न्यायालय: महत्वपूर्ण फैसले और नवीनतम समाचार

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केरल उच्च न्यायालय हाल के दिनों में कई महत्वपूर्ण फैसलों के कारण खबरों में रहा है। ये फैसले विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, जिनमें आपदा प्रबंधन, संपत्ति कानून और संवैधानिक अधिकार शामिल हैं। यहां कुछ प्रमुख घटनाओं का सारांश दिया गया है:

आपदा प्रबंधन अधिनियम और मुआवजा

केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि राज्य सरकार एक निजी इमारत के मालिकों को किराया और मुआवजा देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, जिसका उपयोग उसने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों को लागू करके किया था। न्यायमूर्ति एन. नागेश ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता शैक्षणिक एजेंसी के भवनों और मूल्यवान उपकरणों को कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य के अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया था।

अदालत ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 66 उस तरीके को बताती है जिससे मुआवजे की गणना की जानी है। किराया इस आरोप में अस्वीकार कर दिया गया कि भवन अनधिकृत है। अदालत ने नोट किया कि भवन ग्राम पंचायत से एनओसी प्राप्त करने के बाद बनाए गए थे, उन्हें निर्माण पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया गया था और ग्राम पंचायत भवन कर वसूल रही थी।

अदालत ने यह भी कहा कि अगर इमारत के निर्माण में कोई वैधानिक उल्लंघन है, तो अधिकारी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे, लेकिन प्रतिवादी याचिकाकर्ता को किराया/मुआवजा देने से इनकार नहीं कर सकते हैं।

विदेशी नोटरी द्वारा निष्पादित मुख्तारनामा

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में, केरल उच्च न्यायालय ने माना कि किसी विदेशी देश को पारस्परिक देश के रूप में मान्यता देने वाली अधिसूचना के अभाव में, एक भारतीय अदालत विदेशी नोटरी पब्लिक द्वारा निष्पादित मुख्तारनामा को मान्यता नहीं दे सकती है। न्यायमूर्ति के. बाबू ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 57(6) के अनुसार, न्यायालय नोटरी पब्लिक की मुहरों पर न्यायिक संज्ञान लेगा, लेकिन यह केवल तभी लागू होगा जब विदेशी देश एक पारस्परिक देश हो।

अदालत ने कहा कि मुख्तारनामा को विदेशी देश में निष्पादित और प्रमाणित किया गया था, इसलिए इसे भारत में मान्यता नहीं दी जा सकती है क्योंकि उस देश को पारस्परिक देश के रूप में मान्यता देने वाली कोई विशिष्ट अधिसूचना नहीं है।

संविधान के अनुच्छेद 300A का उल्लंघन

उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि राज्य सरकार किसी निजी संपत्ति का उपयोग करती है, तो उसे किराया/मुआवजा देना होगा, ऐसा न करने पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत याचिकाकर्ता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होगा।

  • राज्य सरकार को निजी संपत्ति के उपयोग के लिए मुआवजा देना होगा।
  • विदेशी नोटरी द्वारा निष्पादित मुख्तारनामा को मान्यता देने के लिए विशिष्ट अधिसूचना आवश्यक है।
  • संविधान के अनुच्छेद 300A संपत्ति के अधिकार की रक्षा करता है।

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