SEBI प्रमुख का बड़ा बयान: डेरिवेटिव बाजार में सुधार की जरूरत

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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के अध्यक्ष तुहिन कांता पांडे ने डेरिवेटिव बाजार में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि नियामक खुदरा निवेशकों के लिए सुरक्षा को मजबूत करने के तरीकों पर विचार कर रहा है। पांडे ने 'द फाइनेंशियल टाइम्स' को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही।

पांडे ने कहा कि भारत के तेजी से बढ़ते डेरिवेटिव बाजार को कुछ संरचनात्मक सुधारों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हालांकि वॉल्यूम में गिरावट आई है, लेकिन यह उतनी नहीं है जितनी वांछनीय है।

SEBI के आंकड़ों के अनुसार, भारत के विकल्प बाजार का पिछले साल वैश्विक वॉल्यूम में लगभग 90% हिस्सा था। लेकिन एक हालिया नियामक रिपोर्ट में कहा गया है कि दस में से नौ व्यक्तिगत व्यापारियों ने विकल्प कारोबार में पैसा खो दिया। मार्च 2022 और मार्च 2025 के बीच व्यक्तिगत प्रतिभागियों की संख्या दोगुनी होकर 9.6 मिलियन हो गई, जिससे वार्षिक नुकसान बढ़ गया।

इसके अतिरिक्त, SEBI प्रमुख ने जेन स्ट्रीट की जांच का बचाव करते हुए कहा कि नियामक परिष्कृत व्यापारियों की विशेषज्ञता से मेल खाने में सक्षम है। उन्होंने जेन स्ट्रीट के इस तर्क को खारिज कर दिया कि वह मानक सूचकांक आर्बिट्रेज में लगी हुई थी। पांडे ने कहा, "हेरफेर वह है जहां आप कृत्रिम रूप से आर्बिट्रेज बना रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा, "मुझे पता है कि ये लोग प्रतिभाशाली गणितज्ञ और पीएचडी हैं, लेकिन हमारे पास भी पीएचडी हो सकते हैं। हम विवश नहीं हैं।"

SEBI डेरिवेटिव बाजार में खुदरा निवेशकों की सुरक्षा के लिए और अधिक उपाय करने पर विचार कर रहा है। नियामक का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि खुदरा निवेशक डेरिवेटिव बाजार में भाग लेने से पहले जोखिमों को समझें। इन सुधारों से बाजार में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने की उम्मीद है।

मुख्य बातें:

  • SEBI प्रमुख ने डेरिवेटिव बाजार में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता बताई।
  • खुदरा निवेशकों की सुरक्षा के लिए उपाय किए जाएंगे।
  • जेन स्ट्रीट की जांच का बचाव किया गया।

आगे क्या होगा?

यह देखना बाकी है कि SEBI डेरिवेटिव बाजार में खुदरा निवेशकों की सुरक्षा के लिए कौन से विशिष्ट उपाय करेगा। हालांकि, यह स्पष्ट है कि नियामक इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और बाजार में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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