JNU: भोजन, पहचान और पीएचडी प्रवेश परीक्षा - मुख्य समाचार!

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JNU: एक नजर में कई मुद्दे

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) इन दिनों कई कारणों से चर्चा में है। एक तरफ, जहां पीएचडी में प्रवेश के लिए वाइवा परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ, छात्रावास के भोजन को लेकर भी विवाद सामने आया है।

भोजन का मुद्दा: पहचान और स्वीकृति

दिल्ली में रहने वाले पूर्वोत्तर के छात्रों के लिए, पारंपरिक भोजन बनाना सिर्फ स्वाद का मामला नहीं है, बल्कि प्रतिरोध, साहस और सांस्कृतिक दावे का कार्य है। अक्सर, उन्हें संदेह और कलंक के कारण अपना भोजन खाने या पकाने से प्रतिबंधित किया जाता है। कई लोगों के लिए, बिना पकड़े, उपहासित हुए या अवांछित ध्यान आकर्षित किए एक्सोन या बांस शूट जैसी चीजें पकाना लगभग असंभव है।

पूर्वोत्तर भारत, जिसे राष्ट्रीय कल्पना में हिंसा, सैन्यीकरण, विद्रोह और "जानवर खाने वालों" के बारे में विदेशी रूढ़ियों के क्षेत्र के रूप में चित्रित किया गया है, उसे देश के बाकी हिस्सों द्वारा ज्यादातर संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। दिल्ली में, एक कमरा किराए पर लेना या विश्वविद्यालय के छात्रावास में आदिवासी भोजन खाना अक्सर अविश्वास को आमंत्रित करता है। लोग पूर्वोत्तर करी की सुगंध के बारे में अपमान करते हैं या अपमानजनक टिप्पणी करते हैं।

पीएचडी प्रवेश: वाइवा और सीट आवंटन

JNU में पीएचडी पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए 13 से 20 अगस्त तक वाइवा परीक्षा आयोजित की जा रही है। पहली मेरिट सूची 29 अगस्त को जारी होगी। चयनित उम्मीदवारों को सीट ब्लॉक के लिए 29 और 31 अगस्त को फीस भुगतान और नामांकन पूर्व पंजीकरण करना होगा। इसके बाद दस्तावेजों का सत्यापन आठ से 11 सितंबर तक होगा। दूसरी मेरिट सूची 12 सितंबर को जारी की जाएगी और 14 सितंबर तक फीस का भुगतान करना होगा।

  • वाइवा परीक्षा: 13-20 अगस्त
  • पहली मेरिट सूची: 29 अगस्त
  • सीट आवंटन: 29 अगस्त

JNU में ये घटनाक्रम शिक्षा और संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाते हैं।

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