आरटीई 2025: तमिलनाडु में गरीब बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार
तमिलनाडु में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने दो साल बाद राज्य सरकार को फंड जारी कर दिया है। यह खबर उन परिवारों के लिए राहत की सांस लेकर आई है जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने में असमर्थ थे।
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि निजी स्कूलों में दाखिले पहले ही पूरे हो चुके हैं, लेकिन आरटीई के तहत योग्य छात्रों का चयन करके उनकी फीस का भुगतान किया जाएगा। यह कदम उन छात्रों को लाभान्वित करेगा जो पहले से ही निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं और आरटीई के तहत लाभ प्राप्त करने के हकदार हैं।
आरटीई क्या है?
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 भारत सरकार द्वारा लागू किया गया एक कानून है। यह कानून 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता है। आरटीई अधिनियम के तहत, निजी स्कूलों को अपनी 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं।
तमिलनाडु सरकार का कदम
तमिलनाडु सरकार का यह कदम आरटीई अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि निजी स्कूल आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों से कोई अतिरिक्त शुल्क न लें।
- यह कदम गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा।
- इससे शिक्षा के क्षेत्र में समानता को बढ़ावा मिलेगा।
- यह आरटीई अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करेगा।
हालांकि, आरटीई याचिकाकर्ता ईश्वरन ने इस कदम का विरोध किया है, सवाल उठाते हुए कि निजी स्कूलों में फीस का भुगतान कौन करेगा। यह मुद्दा अभी भी विचाराधीन है, लेकिन तमिलनाडु सरकार आरटीई के तहत योग्य छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।