जॉन अब्राहम की 'तेहरान' और सेंसरशिप पर उनकी राय
अभिनेता जॉन अब्राहम ने हाल ही में भारतीय सिनेमा में सेंसरशिप और रचनात्मक स्वतंत्रता के बीच संतुलन को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने अपनी फिल्म 'तेहरान' के संदर्भ में फिल्म निर्माताओं को होने वाली राजनीतिक संवेदनशीलता संबंधी चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
इंडिया टुडे के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, जॉन अब्राहम ने बताया कि उनकी फिल्म 'तेहरान' को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए मंजूरी मिलने में कितनी कठिनाई हुई। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं को अपनी रचनात्मक दृष्टि के प्रति सच्चे रहते हुए राजनीतिक संवेदनशीलता से निपटना होता है।
राजदीप सरदेसाई से बात करते हुए, अब्राहम ने 'तेहरान' को दिखाने की अनुमति देने के लिए विदेश मंत्रालय को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि यह फिल्म (तेहरान) थिएटरों में दिखाने के लिए पास हो पाती, सच कहूं तो। मैं विदेश मंत्रालय का आभारी हूं।" उनके इस बयान से पता चलता है कि नौकरशाही प्रक्रियाएं फिल्म के वितरण को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।
जब कंसल्टिंग एडिटर ने उनसे पूछा कि क्या वे सेंसर बोर्ड को पूरी तरह से खत्म करना चाहेंगे या न्यूनतम सेंसरशिप पसंद करेंगे, तो अभिनेता ने इसकी आवश्यकता पर जोर दिया, लेकिन इसके वर्तमान कार्यान्वयन पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि आपको सेंसरशिप की आवश्यकता है, लेकिन जिस तरह से इसकी देखरेख की जा रही है, वह एक बड़ा प्रश्न चिह्न हो सकता है," रचनात्मक अभिव्यक्ति और नियामक निरीक्षण के बीच संतुलन का सुझाव देता है।
उन्होंने आगे कहा, "अब तक, वे हमारे साथ अच्छे और दयालु रहे हैं, और मैं जिस तरह से मैंने बनाया है और बोला है, उसके साथ जिम्मेदार रहा हूं।" जॉन अब्राहम का मानना है कि सेंसरशिप जरूरी है लेकिन इसे लागू करने के तरीके पर विचार करना चाहिए।
'तेहरान' फिल्म के बारे में
'तेहरान' एक आगामी एक्शन थ्रिलर फिल्म है जिसमें जॉन अब्राहम मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म राजनीतिक संवेदनशीलता और देशभक्ति के विषयों पर आधारित है। फिल्म को लेकर दर्शकों में काफी उत्साह है।
जॉन अब्राहम का नजरिया
जॉन अब्राहम हमेशा से ही सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय रखते रहे हैं। उनका मानना है कि फिल्में समाज को प्रभावित करने का एक शक्तिशाली माध्यम हैं और फिल्म निर्माताओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।